छोटे-छोटे कदम

दिसम्बर 20, 2020

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 33वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस के लिए ऑनलाइन एकत्रित हुए वैश्विक श्रोताओं को सम्बोधित किया। उन्होंने फ़र्माया कि हमारे सामने एक बहुत बड़ा कार्य खड़ा है, क्योंकि हमने उस उद्देश्य को पूरा करना है जिसके लिए हम इस संसार में आए हैं। महाराज जी ने साथ ही ब्लूप्रिन्ट भी दिया कि हम इस काम में सफलता कैसे हासिल कर सकते हैं।

जब हम कोई बहुत बड़ा कार्य करने लगते हैं, या जब हम कोई ऐसी चीज़ पाना चाहते हैं जिसे पाना शुरू में असंभव लग रहा हो, तो हम इसमें सफल होने के लिए पहले छोटे-छोटे कदम उठाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। अपने सच्चे स्वरूप को जानने, और प्रभु के साथ अपने रिश्ते का अनुभव करने, के महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें मौन अवस्था में बैठना होगा। ध्यानाभ्यास की प्रक्रिया द्वारा हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को जान सकते हैं, और फिर हमारी आत्मा आंतरिक यात्रा पर जा पाती है, जहाँ वो प्रभु की ज्योति व श्रुति के साथ जुड़ जाती है। हम प्रेम, प्रकाश, और परमानंद से भरपूर मंडलों में पहुँच जाते हैं, जहाँ हम प्रभु का अनुभव कर पाते हैं, जोकि समस्त शांति और ख़ुशी के भंडार हैं। जब हम अंतर में मौजूद शांति का अनुभव कर लेते हैं, तो हम अपने आसपास के लोगों को भी ख़ुशी और शांति प्रसारित करने लगते हैं।

इस सबकी शुरुआत तब होती है जब हम धीरे-धीरे, छोटे-छोटे कदम उठाते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, जब हम रोज़ाना मौन अवस्था में बैठकर अपने मन को शांत करते हैं। प्रतिदिन हम छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं, ताकि हम अपने जीवन में नैतिक सद्गुणों को धारण कर सकें। धीरे-धीरे, हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास और नैतिक जीवन की ईंटें जोड़ते जायें, ताकि हमारे जीवन की नींव मज़बूत हो सके और हम उस लक्ष्य को पा सकें जिसके लिए हम इस दुनिया में आए हैं। धीरे-धीरे, महाराज जी ने फ़र्माया, हम प्रभु के साथ एकमेक होने के अपने महान लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।