बाधाओं को तोड़कर प्रभु के प्रकाश तक पहुँचें

फ़रवरी 21, 2021

आज 42वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस कार्यक्रम में विशाल ऑनलाइन सभा को सम्बोधित करते हुए, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उन अवरोधों को तोड़ने का तरीका बताया जो हमारी आंतरिक तरक्की में बाधा उत्पन्न करते हैं। जीवन में बहुत सारी चुनौतियाँ आती हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। हमारे जीवन में शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक, या मानसिक मुश्किलें आती ही रहती हैं, और ये अक्सर प्रभु को पाने की हमारी कोशिशों में बाधा डाल देती हैं। जब हम ध्यान टिकाने के लिए बैठते हैं, तो ये समस्याएँ हमें अपने शरीर और मन को शांत करने से रोकती हैं। इसीलिए हम अपना ध्यान अंतर में एकाग्र नहीं कर पाते हैं और आंतरिक रूहानी तरक्की नहीं कर पाते हैं।

संत-महापुरुष हमें सिखाते हैं कि हम जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना कैसे करें ताकि हमारी आध्यात्मिक तरक्की पर उनका असर न पड़े। ऐसा करने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि हम यह शरीर या मन नहीं हैं, बल्कि आत्मा हैं। हमें अपनी आत्मा को साफ़ करने और सही प्रकार का जीवन बिताने के महत्त्व को समझना होगा, जो हमें प्रभु के करीब ले जाता है।

संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि हम एक पाइप के समान हैं, और पाइप जितना ज़्यादा साफ़ होगा, उतना ही अधिक प्रभु का प्रेम और प्रकाश उसमें से बहेगा। हमारे पास चुनाव करने का मौका है। हम चाहें तो अपनी पाइप को गंदगी से बंद हो जाने दें या इसे साफ़ करें, ताकि इसमें से दिव्य जल आसानी से बह सके। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपना जीवन कैसे जीते हैं।

जब हम अपने अंदर नकारात्मक विचारों, शब्दों, और कार्यों को बढ़ावा देते हैं, तो हम अपनी पाइप को बंद कर लेते हैं। इसके विपरीत, जब हम एक नैतिक जीवन जीते हैं और नियमित रूप से ध्यानाभ्यास कर अपने ध्यान को अंतर में टिकाते हैं, तो हम अपने शरीर व मन की दीवारों को तोड़ डालते हैं, तथा अंतर में प्रभु की दिव्य ज्योति के साथ जुड़ जाते हैं।