ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रेम भरे हृदय का अनुभव करें

फ़रवरी 14, 2021

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने बताया कि ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु के प्रेम का अनुभव करने से हमारा जीवन प्रेम व ख़ुशियों से भरपूर हो जाता है।

जब हम अपने जीवन की ओर देखते हैं और दूसरों के साथ उसकी तुलना करते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया, तो हम समझने लगते हैं कि हम एक-दूसरे से अलग हैं। लेकिन असल में, महाराज जी ने फ़र्माया, हम सब आपस में जुड़े हुए हैं, और हमें जोड़ने वाले ये रेशमी धागे प्रभु-प्रेम के हैं।

ह्यूमन जिनोम प्रौजेक्ट के परिणामों के बारे में बताते हुए महाराज जी ने समझाया कि कैसे समस्त मानवता का आनुवांशिक ढांचा 99 प्रतिशत एक समान है। हमारे बाहरी फ़र्क केवल 1 प्रतिशत से भी कम हैं। इस प्रकार, विज्ञान भी हमें बताता है कि हम जितना सोचते हैं, उससे कहीं ज़्यादा एक समान हैं। अगर हम अपनी बाहरी भिन्नताओं से ऊपर उठ सकें और अपने सच्चे अस्तित्व का अनुभव कर सकें, तो हम जान जायेंगे कि हम सब वास्तव में एक ही हैं।

प्रभु की बनाई सृष्टि के साथ अपने रिश्ते का अनुभव करने के लिए हमें पहले स्वयं प्रभु का अनुभव करना होगा । प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अंतर में एकाग्र करना होगा। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम प्रभु के प्रेम में रंगे जाते हैं और हर चीज़ हमारे लिए सुंदर हो जाती है। जब हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप का अनुभव कर लेते हैं, तो हम यह भी जान जाते हैं कि हम चेतन हैं, और यह कि हमारा हृदय और आत्मा प्रेम से भरपूर हैं।

एक बार इस प्रेम को अनुभव कर लेने के बाद, यह प्रेम हमारे भीतर ही दबा नहीं रहता है, बल्कि हमारे आसपास के सभी लोगों पर असर डालता है। धीरे-धीरे, हमारे आसपास का यह प्रेम का घेरा बढ़ता चला जाता है और अनेक लोगों के जीवन को छूता है, जिससे हमारे परिवारों में, समाजों में, और विश्व में परिवर्तन आ जाता है।