दयालुता की परिवर्तनीय शक्ति

मार्च 6, 2021

आज के अपने ऑनलाइन सत्संग में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने दयालुता की महान् परिवर्तनीय शक्ति के बारे में समझाया। अपने जीवन के दौरान हम कई उपहार लेते और देते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। अधिकतर ये उपहार सांसारिक वस्तुएँ होती हैं, जो थोड़े समय के लिए हमारे काम अवश्य आ सकती हैं लेकिन हमेशा-हमेशा के लिए हमारा साथ नहीं देतीं। महाराज जी ने समझाया कि जब हम सच्चे दिल से किसी को दयालुता का उपहार देते हैं, तो वो लेने वाले के पूरे जीवन को ही बदल देने की ताकत रखता है।

सभी धर्मों में इस सुनहरे नियम के बारे में बताया गया है – हम दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा कि हम चाहते हैं वो हमारे साथ करें। दूसरों को मुस्कराकर मिलना, प्यार से बात करना, किसी की सफलता को सराहना, ये सब बहुत छोटे-छोटे कार्य लग सकते हैं; लेकिन ये दूसरों को ख़ुशी देने में और वातावरण में शांति लाने में बहुत कारगर साबित होते हैं। इनसे हम दूसरों का दिल जीत पाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया और समझाया कि हमें अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगा देना चाहिए।

हम यहाँ प्रभु से प्रेम करने और प्रभु के प्रेम को दूसरों में बाँटने के लिए आए हैं। प्रभु के प्रेम को बाँटने के लिए हमें पहले प्रभु के प्रेम का अनुभव करना होगा, और ऐसा हम ध्यानाभ्यास के द्वारा कर सकते हैं। अपना ध्यान बाहरी संसार से हटाकर अंतर में एकाग्र करने से हम अंतर में प्रभु के प्रकाश का अनुभव करने लगते हैं। इस प्रकाश के साथ जुड़ने से हम दिव्य प्रेम से भरपूर हो जाते हैं, जो फिर हमसे होकर दूसरों तक भी फैलता है।

“जो लोग प्रेम करते हैं वही प्रभु को पाते हैं”, यह याद दिलाते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि जब हम दूसरों के लिए जीते हैं और दयालुता फैलाते हैं, तो हमारा पूरा जीवन ही बदल जाता है। नियमित ध्यानाभ्यास से और सद्गुणों से भरपूर जीवन जीने से हमारी आध्यात्मिक तरक्की तेज़ी से होती चली जाती है, तथा हम जल्द से जल्द प्रभु में एकमेक होने के अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं।