आध्यात्मिक सोने का खनन

अप्रैल 24, 2021

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने ऑनलाइन सत्संग में बताया कि ध्यानाभ्यास हमारे द्वारा आध्यात्मिक सोने का खनन करने में बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इंसान होने के नाते, हम सबका एक परम उद्देश्य है। हमें यह मानव चोला इसीलिए दिया गया है ताकि हम अपने सच्चे स्वरूप को जान सकें, जो है हमारी आत्मा, जो परमात्मा का अंश है। हमारी आत्मा ही हमारा आध्यात्मिक सोना है, और हमारी ज़िन्दगी का उद्देश्य इस सोने का खनन करना और इसे पाना है।

इस समय आत्मा हमारे भीतर छुपी पड़ी है, तथा मन, माया, और भ्रम की पर्तों के नीचे दबी हुई है। संत-महापुरुष आध्यात्मिक सोने के खनन में हमारी मदद करने के लिए इस संसार में आते हैं। उन्हें पता होता है कि कहाँ और कैसे खुदाई करनी है और वे इस प्रक्रिया में हमारी मदद करते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि हम प्रेम, करुणा, नम्रता, सच्चाई, और अहिंसा जैसे सद्गुणों को अपने जीवन में ढालकर अपनी आध्यात्मिक नींव को मज़बूत कर सकते हैं। वे हमें समझाते हैं कि हम अपने अहंकार को काबू में रखें और निष्काम सेवा से भरपूर जीवन जियें, जिसमें हम अपने साथी इंसानों की ओर मदद का हाथ बढ़ायें।

दूसरे, वे हमें ध्यानाभ्यास की तकनीक सिखाते हैं, जिस प्रक्रिया के द्वारा हम अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अंतर में केंद्रित कर पाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा हम प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ जाते हैं, जिससे हमारी आत्मा पर पड़े आवरण उतरते जाते हैं और हम अपने आध्यात्मिक सोने को पा लेते हैं।