प्रेम हमें सहारा देता है

जून 12, 2021

आज के अपने ऑनलाइन सत्संग में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने हमें याद दिलाया कि हम जीवन की चुनौतियों का सामना करना कैसे सीख सकते हैं। उतार-चढ़ाव इंसानी जीवन का एक हिस्सा हैं। इस जीवन के रंग हर पल बदलते रहते हैं; जो आज यहाँ है वो कल नहीं होगा, और ये सच्चाई हमें समझनी व स्वीकार करनी चाहिए। हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों और दुखों से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि जीवन में सबकुछ अस्थाई होता है। इस भौतिक संसार में कुछ भी सदा-सदा के लिए नहीं रहता। यहाँ तक कि जिस महामारी ने संसार भर को पिछले साल से जकड़ रखा है, वो भी ख़त्म हो जाएगी, महाराज जी ने फ़र्माया। जीवन में हलचलों और मुश्किलों के आने पर हमें शांत रहना सीखना होगा, ताकि हम अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य पर एकाग्र रह सकें।

हमें यह जीवन इसीलिए मिला है ताकि हमारी आत्मा, जोकि परमात्मा का अंश है, अपने स्रोत के पास वापस पहुँच सके। जब जीवन के किसी मोड़ पर हमारे मन में जीवन के अर्थ को लेकर सवाल उठने लगते हैं और हमारे अंदर प्रभु को पाने की तड़प पैदा हो जाती है, वो असल में प्रभु ही होते हैं जो हमें खींच रहे होते हैं और हमारे अंदर प्रभु-प्रेम की चिंगारी जला देते हैं। इस भौतिक संसार में जीते हुए हम अपने सच्चे स्वरूप को भूल चुके हैं, और ये भी भूल चुके हैं कि हम प्रभु का अनुभव कैसे कर सकते हैं। जैसे एक कस्तूरी हिरन सारी उम्र बाहर उस खुश्बू को ढूंढता रहता है जो उसके अंदर से ही आ रही होती है, उसी तरह हम भी बाहरी दुनिया में प्रभु को ढूंढते रहते हैं जबकि प्रभु हमारे भीतर ही हैं।

प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना सीखना होगा, ताकि हमारी आत्मा अंतर में यात्रा कर सके। ऐसा तब होता है, महाराज जी ने समझाया, जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं। ध्यानाभ्यास में हम अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर आंतरिक संसार में केंद्रित करते हैं। हम अपनी सुरत की धारा को अंतर में अपनी तीसरी आँख पर केंद्रित करते हैं और आंतरिक मंडलों की सुंदरता व आनंद के साथ जुड़ जाते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम का अनुभव करते हैं, और यह प्रेम हमें पूरी तरह से घेर लेता है। ये हमें उभार देता है और इस बाहरी संसार के उतार-चढ़ाव के दौरान हमें सहारा देता है। जब हम इस प्रेम पर एकाग्र रहते हैं, तो ये हमें जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।