प्रभु के पास वापस घर आना

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाया कि यह मानव चोला हमें मिला एक सुनहरा अवसर है, तथा हमें अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए ताकि हम अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा कर सकें। हमारी आत्मा को यह मानव चोला इसीलिए दिया गया है ताकि वो स्वयं को जान सके और अपने सच्चे घर वापस पहुँचकर प्रभु में एकमेक हो सके, महाराज जी ने फ़र्माया। लेकिन जब हम इस दुनिया में आते हैं, तो हम अपने उद्देश्य को भूल जाते हैं और इस क्षणभंगुर बाहरी संसार के आकर्षणों में फँस जाते हैं। हम अपना सारा समय इस दुनिया की दौलत, साजो-सामान, ज्ञान, और प्रसिद्धि हासिल करने में ही गँवा देते हैं। हम जीवन भर इस संसार में अपनी जगह बनाने में ही लगे रहते हैं, और सांसारिक चीज़ों में स्थाई खुशियाँ ढूंढते रहते हैं, लेकिन वो हमें नहीं मिलतीं।
संत-महापुरुष हमें याद दिलाने के लिए आते हैं कि हम केवल इस शारीरिक अस्तित्व से गुज़र रहे हैं। आत्मा की यात्रा, शरीर की मृत्यु के बाद भी जारी रहती है। इस धरती पर हमारा जीवन, अपने सच्चे घर वापस जाने की हमारी आत्मा की लंबी यात्रा में सिर्फ़ एक कतरा भर है। इसीलिए हमें इस समय का इस्तेमाल कर अपनी आत्मा को आगे की यात्रा के लिए तैयार करना चाहिए। इस दुनिया में जीते हुए हमारा ध्यान हर वक़्त अपने उद्देश्य – प्रभु – की ओर होना चाहिए। महाराज जी ने सभी से भक्ति से भरपूर जीवन बिताने का आग्रह किया, जिसमें हम प्रभु की दया माँगें कि वे हमें बाहरी संसार के आकर्षणों में फँसने से बचायें और अंतर में एकाग्र करें; जिसमें हम हमेशा प्रभु की गोद में रहने की प्रार्थना करें, ताकि हम जल्द से जल्द प्रभु के घर वापस जाने के लिए कदम उठाते चले जायें। इस सबकी शुरुआत होती है ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में एकाग्र होने के साथ।