सदा-सदा की शांति व खुशी कैसे पायें

सितम्बर 4, 2021

आज के अपने ऑनलाइन सत्संग में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने सदा-सदा की शांति और खुशी पाने के रहस्य पर प्रकाश डाला। हम सब खुश, संतुष्ट, और चिंता-मुक्त रहना चाहते हैं। हम लगातार बाहरी संसार की गतिविधियों, रिश्ते-नातों, और वस्तुओं में खुशियाँ ढूंढते रहते हैं। लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, हलचल और निराशा हमारे जीवन का हिस्सा बने रहते हैं। तो हम अपना जीवन कैसे जियें कि हम सदा-सदा की शांति व खुशी पा सकें?

इसकी कुंजी है इच्छारहित होना। इच्छाओं की प्रकृति समझाते हुए महाराज जी ने फ़र्माया कि जब हमारे मन में कोई इच्छा पैदा हो जाती है, तो हम अपना पूरा ध्यान और कोशिशें उसे पाने में लगा देते हैं। इस प्रक्रिया में, हम या तो अपने लिए और अधिक मुश्किलें खड़ी कर लेते हैं, या यह अनुभव कर लेते हैं कि उससे हमें वो स्थाई संतोष नहीं मिला जिसकी हमें तलाश थी। जब एक इच्छा पूरी होती है, तो दूसरी पैदा हो जाती है, और इच्छाओं व उन्हें पूरा करने के हमारे प्रयासों के इस अंतहीन चक्र में हम मानव चोले के इस सुनहरे अवसर को खो देते हैं।

इस संसार की क्षणिक खुशियाँ पाने में अपना सारा समय और प्रयास लगा देने के कारण, हम आंतरिक मंडलों के खज़ानों की ओर ध्यान लगाने का अवसर खो देते हैं, जहाँ स्थाई खुशियाँ और शांति हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। संत हमें ध्यानाभ्यास की तकनीक सिखाते हैं जिससे हम आंतरिक मंडलों में जा पाते हैं और सदा-सदा की खुशी व शांति का अनुभव कर पाते हैं। हम अंतर में प्रभु के प्रेम व प्रकाश का अनुभव करते हैं, और प्रभु का प्रकाश दूसरों में भी देखने लगते हैं। जब हम अंतर में ध्यान टिकाते हैं, तो हमारा जीवन परिवर्तित हो जाता है। हमारे जीवन में संतोष आ जाता है। अपनी इच्छाओं को पूरा करने की ओर ध्यान देने के बजाय हम दूसरों की सेवा से भरपूर जीवन गुज़ारने लगते हैं। हम वहाँ मदद करते हैं जहाँ ज़रूरत होती है, ताकि हम अपने साथी इंसानों का दुख-दर्द दूर कर सकें और जहाँ भी जायें, वहाँ खुशिया ही फैलायें। हम लेने से ज़्यादा देना सीख जाते हैं और निस्वार्थता की गहरी खुशी का अनुभव करते हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम स्थाई शांति व खुशी का रहस्य सुलझा लेते हैं।