अपना सच्चा मूल्य पहचानें

अगस्त 28, 2021

आज के अपने सत्संग में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इस मानव जीवन के सच्चे मूल्य के बारे में समझाया और बताया कि हम कैसे इसे पहचान सकते हैं। अपना जीवन जीते समय, हम में से कई लोग अपनी भौतिक संपत्ति के मूल्य को बढ़ाने की कोशिश करते रहते हैं, इस आशा में कि इससे हमारा अपना मूल्य भी बढ़ जाएगा। हम कभी भी रुककर अपने जीवन के सच्चे मूल्य की ओर ध्यान नहीं देते हैं।

संत-महापुरुष हमें याद दिलाने के लिए आते हैं कि इस धरती पर हमारे जीवन का मकसद इससे कहीं बढ़कर है। वे हमें याद दिलाते हैं कि यह मानव जन्म हमें प्रभु द्वारा दिया गया एक सुनहरा अवसर है। इसका एक बेहद ख़ास उद्देश्य है – स्वयं को आत्मा के रूप में जानना और अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करवाना। अब यह हम पर है, महाराज जी ने फ़र्माया, कि हम इस अवसर से कैसे लाभ उठाते हैं। हम इस अवसर को भौतिक संसार की धन-दौलत कमाने में लगा सकते हैं, या हम अपने प्रयासों को दिव्य खज़ानों को पाने में लगा सकते हैं, जो हमें प्रभु की ओर ले जायें।

हमारे अंदर दिव्यता के बहुमूल्य खज़ाने हैं, जो हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम अपने ध्यान, जोकि हमारी आत्मा का बाहरी स्वरूप है, के द्वारा इन खज़ानों को पा सकते हैं। जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अंतर में एकाग्र करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम का अनुभव करते हैं, जो हमें प्रकाश और परमानंद से भरपूर कर देता है। प्रभु के प्रेम और प्रकाश का अनुभव ही हमारी ज़िन्दगी की सच्ची दौलत है। इस रूहानी दौलत को कमाने के लिए हमें अपने ध्यानाभ्यास में नियमित और सच्चा होना पड़ेगा। तभी हम अपने सच्चे मूल्य को पहचान सकेंगे।