अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

20 सितम्बर 2018

अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस, जोकि 20 सितम्बर को मनाया जाता है, एक ऐसा दिन है जबकि दुनिया भर के लोग अपने शरीर, मन, और आत्मा के स्वास्थ्य के लिए ध्यानाभ्यास में समय बिताते हैं।

मेडिकल डॉक्टरों और शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों ने दर्शाया है कि ध्यानाभ्यास हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होता है। इसका एक और लाभ यह भी है कि इससे हमें शांत अवस्था में बैठकर अपने अंतर के रूहानी ख़ज़ानों के साथ जुड़ सकते हैं।

साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी द्वारा यह दिन दुनिया भर के अपने 2800 से भी अधिक सेंटरों में मनाया जाता है, ताकि लोग ध्यानाभ्यास के लाभों को जान सकें और उन्हें अपने जीवन में ढाल सकें। सभी आयुवर्गों और पृष्ठभूमियों के लोग आसानी से ध्यान टिकाने की कला सीख सकते हैं। इसमें किसी भी तरह के कठिन आसनों या प्रक्रियाओं या ज़रूरत नहीं होती है। हमें केवल एक आरामदायक तरीके से बैठकर अपने ध्यान को अंतर में एकाग्र करना है।

ध्यानाभ्यास हमारे शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को निम्नलिखित तरीकों से लाभ पहुँचाता हैः

  • तनाव-संबंधी रोगों के होने की संभावना कम
  • मानसिक शांति और संतुलन में बढ़ोतरी
  • एकाग्रता में वृद्धि
  • अपनी आंतरिक शांति और ख़ुशी के संपर्क में आना

मैं चाहता हूँ कि लोग ध्यानाभ्यास की विधि को स्वयं आज़मा कर देखें, ताकि उनके शरीर, मन, और आत्मा के स्वास्थ्य में सुधार आ सके।

अतिरिक्त संदेश

समस्त जीवन की एकता

समस्त जीवन की एकता

सच्चा आध्यात्मिक विकास तब होता है जब हम जान जाते हैं कि हम सब एक हैं। यह एहसास हो जाने से हम ख़ुद को दूसरों से ऊँचा या बेहतर समझना बंद कर देते हैं। हम ऐसी अवस्था में पहुँच जाते हैं जिसमें हम जान जाते हैं कि हम सब महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रभु में विश्वास

प्रभु में विश्वास

प्रभु के अदृश्य हाथ की सुंदरता यह है कि कई बार हम सहायता के लिए बहुत अधिक प्रार्थनाएँ करते हैं और हमें वो मिलती भी है। लेकिन कई बार जब हम सहायता माँगते नहीं हैं, तब भी हमें सहायता मिलती है।

ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है

ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है

जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमें प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें वो दें और वो दिखायें जो वे हमारे लिए बेहतर समझते हैं। हमें प्रेम के साथ बैठना चाहिए, जैसे हम एक खाली प्याला हों, ताकि प्रभु हम में अपना दिव्य अमृत उड़ेल सकें।