एक स्वस्थ जीवनशैली के उपाय
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
मैं आप सभी का यहाँ इलिनोई में, शिकागो के बाहर, लाइल/नेपरविल क्षेत्र में आयोजित वैजी फ़ैस्ट (शाकाहार महोत्सव) में स्वागत करता हूँ। हम सब यहाँ दुनिया के अलग-अलग कोनों से इकट्ठा हुए हैं, ताकि एक स्वस्थ जीवनशैली पाने के तरीकों पर चर्चा कर सकें।
हम में से हरेक के पास यह शक्ति है कि एक स्वस्थ जीवन का निर्माण कर सके। जो चुनाव हम आज करते हैं, वो कल हमारे शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। तो आज जो हम करेंगे, वो महीनों या सालों बाद, भविष्य की हमारी सेहत को प्रभावित करेगा। हम जो चुनाव करते हैं, वो हमारे परिवार को भी प्रभावित करते हैं। आज हम अपने शरीर, मन, और आत्मा की देखभाल करने के लिए जो चुनाव करेंगे, उन्हीं पर निर्भर होगा कि भविष्य में हमारी सेहत कैसी होगी।
अगर हम इस बात को समझ सकें कि जो कुछ भी हम करते हैं, वो हमारे जीवन की नींव बनाता है, तथा हमारे परिवार और बच्चों के जीवन की नींव बनाता है, तो शायद हम अलग तरीके से सोचने लगें और कार्य करने लगें। अगर हम इस बात को समझ सकें कि अपने शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को लेकर हम आज जो चुनाव करते हैं, वो हमारे वर्तमान और भविष्य के जीवन की नींव बनाते हैं, तो शायद हम अपने चुनावों को लेकर बेहतर निर्णय ले पायेंगे।
क्या हम अपने लिए और अपने परिवार के लिए एक अधिक स्वस्थ शरीर, मन, और आत्मा की ख़्वाहिश रखते हैं? यदि ऐसा है, तो हम ऐसे चुनाव कर सकते हैं जो हमारी जीवनशैली को स्वस्थ बनाने में हमारी सहायता कर सकते हैं।
ध्यानाभ्यास हमारे शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है।
स्वस्थ रहने के उपाय
पहला उपाय
स्थिर हो जाओ। हम जानते हैं कि जब हम छोटे बच्चे थे, तो हमारे माता-पिता इसके लिए क्या उपाय करते थे। जब भी हम शैतानी करते थे, तो वो हमसे ये पाँच शब्द कहते थे – बैठ जाओ और स्थिर रहो। यही शब्द एक स्वस्थ जीवनशैली का पहला उपाय भी हैं।
ध्यानाभ्यास का दूसरा नाम भी स्थिर होना ही है। डॉक्टरों द्वारा किए गए परीक्षणों ने प्रमाणित कर दिया है कि ध्यानाभ्यास हमारे शरीर और मन को लाभ पहुँचाता है।
जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमारी हृदय-गति और श्वास-गति धीमी पड़ जाती है, और हम शांत अवस्था में पहुँच जाते हैं। जब हम तनाव में या हलचल में होते हैं, तो हमारे शरीर में लड़ो-या-भागो हॉरमोन, जैसे कि कॉर्टिसोल और ऐड्रीनेलिन, पैदा होते हैं, जो किसी असली ख़तरे के समय तो हमारे लिए फ़ायदेमंद होते हैं जब हमें अपनी रक्षा करनी होती है या भागना होता है, लेकिन ये तब हमारे लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं जब केवल रोज़मर्रा के सामान्य तनावों के कारण ये हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं।
हमें तब कॉर्टिसोल और ऐड्रीनेलिन की ज़रूरत नहीं होती जब हमारे पति या पत्नी या बच्चे टूथपेस्ट का ढक्कन बंद करना भूल जाते हैं, या जब हाईवे पर कोई हमें गलत ढंग से ओवरटेक करके आगे बढ़ जाता है। हम छोटी-छोटी चीज़ों पर भी इतने अधिक तनाव में आ जाते हैं कि हमारे शरीर में तनाव-संबंधी हॉरमोन पैदा होने लगते हैं, और फिर ये हॉरमोन हमारे शरीर के अंगों और प्रणालियों को नुकसान पहुँचाने लगते हैं।
ध्यानाभ्यास हमें एक शांत अवस्था में पहुँचा देता है, ताकि हम दैनिक जीवन की चुनौतियों के प्रभावों से मुक्त हो सकें। जब हम शांत रहते हैं, तो हमारे शरीर में लड़ो-या-भागो हॉरमोन पैदा नहीं होते हैं, जोकि हृदयरोग, पक्षाघात, हाइपरटेन्शन, सिरदर्द, पाचन समस्याओं, या त्वचा-संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमारा मन भी शांत होता है। तनाव से न केवल हमारे शरीर में रोग पैदा हो जाते हैं, बल्कि हमारे लिए अनेक मानसिक और भावनात्मक समस्याएँ भी पैदा हो जाती हैं। इससे हमारे रिश्तों में ख़राबी आ सकती है, या तनाव-संबंधी मानसिक रोग भी हो सकते हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपने मन को शांत रख पाते हैं, जिससे हमारा जीवन अधिक सुखी, अधिक शांत हो जाता है।
दूसरा उपाय
ध्यानाभ्यास के अलावा, एक स्वस्थ जीवनशैली पाने का दूसरा उपाय है शाकाहारी भोजन। क्यों?
पहला, डॉक्टरों ने प्रमाणित कर दिया है कि पेड़-पौधों से मिलने वाला भोजन खाने से कई बीमारियाँ होने की संभावना कम हो जाती है, जैसे पक्षाघात, हृदयरोग, डायबिटीज़, पाचन रोग, और कुछ तरह के कैंसर भी। माँस, मछली, और अंडों का त्याग करने से हम कई बीमारियों के ख़तरे से बच जाते हैं।
दूसरा, हमारी मानसिक अवस्था को भी इससे लाभ पहुँचता है। कहते हैं कि हम जो खाते हैं, वही बन जाते हैं। जब हम जानवरों को खाते हैं, तो वो हमारा ही हिस्सा बन जाते हैं। इसका मतलब है कि हम उन जानवरों के भय और तनाव संबंधी हॉरमोनों को भी अपने अंदर ले लेते हैं, जिससे हमारी अपनी भय और तनाव की अवस्था में बढ़ोतरी होती है।
हम वो सबकुछ भी अपने अंदर ले लेते हैं जो उस जानवर ने खाया होता है। इसमें ऐंटीबायोटिक भी शामिल होते हैं, जिन्हें अधिकता में लेने से बैक्टीरिया उनके लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। हम वो हॉरमोन भी अपने अंदर ले लेते हैं जो उस जानवर को जल्दी-जल्दी बड़ा करने के लिए दिए गए होते हैं, और फिर वो हॉरमोन हमारे शरीर में आकर हमें नुकसान पहुँचाते हैं। हम वो रोग भी अपने अंदर ले लेते हैं जो उस जानवर को खाने या पीने के कारण हुए थे। इन सब कारणों से, जब हम माँस, मछली, और अंडों का त्याग करते हैं, तो हम इन सब बीमारियों के ख़तरों से भी बच जाते हैं।
कई प्रकार का शाकाहारी भोजन हमारे लिए उपलब्ध है
जैसा कि हम वैजी फ़ैस्ट में देख सकते हैं, आज कई प्रकार का स्वादिष्ट और पोषक शाकाहारी भोजन हमारे लिए उपलब्ध है। आज कई नए शाकाहारी रेस्टोरेंट खुल रहे हैं, और पुराने रेस्टोरेंट्स में भी पहले से अधिक शाकाहारी व्यंजन मिलने लगे हैं। अधिकतर सुपरमार्केट्स अपने ग्राहकों के लिए शाकाहारी खाद्य-पदार्थ भी रखने लगे हैं। उन स्थानों में भी जहाँ पहले शाकाहारी भोजन मिलना बहुत मुश्किल होता था, जैसे कि स्कूल कैंटीन, अस्पताल कैंटीन, क्रूज़ शिप्स, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आदि, वहाँ भी अब शाकाहारी विकल्प मिलने लगे हैं।
कुछ कम्पनियाँ ऐसे खाद्य-पदार्थ बनाने लगी हैं जो देखने और छूने में तो माँस जैसे लगते हैं, लेकिन असल में शाकाहारी होते हैं, ताकि जो लोग बचपन से माँस खाकर बड़े हुए हैं परंतु अब शाकाहारी बनना चाहते हैं, उन्हें आहार में परिवर्तन करने में आसानी हो।
कुछ ऐसे शाकाहारी व्यंजन भी हैं जो ख़ास बच्चों की पसंद के अनुसार बनाए जाते हैं, ताकि उन्हें स्वाद के साथ-साथ सेहत भी मिल सके। तो आज के समय में शाकाहारी होना बहुत आसान हो चुका है, और इसके लाभ भी बहुत सारे हैं।
अगर हम एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा तरीका है इन उपायों को ख़ुद आज़मा कर देखना। वैजी फ़ैस्ट में आज और कल आप अलग-अलग व्यंजन बनाने के तरीके सीख सकते हैं, स्टॉल्स में जा सकते हैं, शाकाहारी फूड कोर्ट में खाना खा सकते हैं; आप स्वयं शाकाहारी भोजन खाकर देख सकते हैं कि आपके स्वास्थ्य और चुस्ती-फुर्ती पर इसका क्या असर पड़ता है।
ध्यानाभ्यास भी हमारे शरीर, मन, और आत्मा को स्वस्थ बनाता है, और इसे भी हम स्वयं आज़मा कर देख सकते हैं। हम शाकाहारी भोजन को अपनाने के साथ-साथ, रोज़ाना ध्यानाभ्यास में भी समय दे सकते हैं।
हम पायेंगे कि खीर का प्रमाण उसके खाने में ही है। यदि हम ध्यानाभ्यास और शाकाहार द्वारा लाए गए परिवर्तनों पर ख़ुद नज़र रखेंगे, और देखेंगे कि इनसे हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में कितना सुधार आया है, तो हम स्वयं ही वैज्ञानिक तरीके से अपने सामने प्रमाणित कर लेंगे कि ध्यानाभ्यास और शाकाहार के क्या-क्या लाभ होते हैं।
हम रोज़ाना कुछ मिनट निकालकर ध्यानाभ्यास कर सकते हैं और शांत हो सकते हैं, तथा साथ ही शाकाहार को अपने जीवन में ढाल सकते हैं। इस प्रकार, हम कुछ दिनों बाद स्वयं देख सकते हैं कि पहले हम कैसे थे और अब हमारे अंदर कितना सकारात्मक परिवर्तन आ गया है, और इस तरह अपने भविष्य की ठोस नींव बना सकते हैं।
मैं आशा करता हूँ कि सभी लोग अपने लिए सकारात्मक चुनाव करेंगे, ताकि आप अपने शरीर, मन, और आत्मा पर एक स्वस्थ जीवनशैली के लाभों का अनुभव कर सकें।
और अधिक जानना चाहेंगे?
शाकाहार क्यों?
जो आहार हम चुनते हैं, वो हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। अलग-अलग पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं, और आज शाकाहार काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है। यहाँ तक कि कई लोग कहते हैं कि अब हमें दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि “क्या आप शाकाहारी या वीगन (जो लोग पशु-उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते, जैसे दूध या दूध से बनी चीज़ें) हैं?”, बल्कि यह पूछना चाहिए कि “आप क्यों नहीं हैं?”
शाकाहारी होने के लाभ
एक कहावत है, “जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं”। पूर्वी देशों में, जहाँ हज़ारों सालों से शाकाहार ही प्रमुख भोजन रहा है, वहाँ लोग यह जानते हैं कि जो कुछ भी हम खाते हैं, वो हमारे शरीर का हिस्सा बन जाता है और हमारे विचारों पर भी प्रभाव डालता है।
वेजी फेस्ट 2017 की मुख्य विशेषताएं
प्रकाश जो सभी जीवन को रोशन करता है
शाकाहारी जीवन के लाभ
शाकाहार और अध्यात्म
जो लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर करना चाहते हैं, उनके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि आज अनेकों डॉक्टरों द्वारा शाकाहार को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो बताते हैं कि शाकाहार से हमारे शरीर को अधिकतम पोषण मिलता है, तथा साथ ही माँसाहारी भोजन से होने वाली कई बीमारियों से भी बचाव हो जाता है। जब हम शाकाहारी भोजन के बारे में सोचते हैं, तो ज़्यादातर लोग इसके स्वास्थ्य-संबंधी लाभों की ओर ही ध्यान देते हैं।