हमें अपनी आत्मा को शक्तिशाली करने की क्या ज़रूरत है?

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

20 अगस्त 2020

हमारे भीतर, आत्मा का सच्चा स्वरूप है दिव्य प्रेम, सदा-सदा रहने वाली शांति, विवेक, निडरता, चेतनता, कभी न ख़त्म होने वाला परमानंद, और अनंत जीवन। इस आध्यात्मिक दौलत को पाने के बजाय, हमने अपने मन को इतना शक्तिशाली बना दिया है कि वो इन गुप्त ख़ज़ानों को हमसे छुपाए रखता है।

हम इन ख़ज़ानों से अनजान हैं क्योंकि हमारी आत्मा के ऊपर मन, इंद्रियों, और भौतिक शरीर के आवरण हावी हो चुके हैं। हमारी आत्मा मन, माया, और भ्रम की दुनिया में खो चुकी है। वो अपने आप को शरीर और मन ही समझने लगी है और अपने सच्चे स्वरूप को भूल चुकी है।

इसीलिए, मन और शरीर हमारी आत्मा के ऊपर अपनी ताकत जमाए बैठे हैं। अपने सच्चे रूवरूप का अनुभव करने के लिए हमें अपनी आत्मा को शक्तिशाली करना होगा, ताकि वो हमारे जीवन को समृद्ध बना सके। आत्मा को शक्तिशाली करने का अर्थ है कि हम मन और इंद्रियों को दी हुई ताकत को वापस ले लें, ताकि इनके बजाय हमारी आत्मा हमारे जीवन को नियंत्रित और निर्देशित कर सके।

जब हम अपनी आत्मा को शक्तिशाली कर लेते हैं, तो हम पाते हैं कि हम इतने अधिक प्रेम से भर गए हैं जितना हमने कभी भी इस भौतिक संसार में अनुभव नहीं किया होता है; हम अपने सच्चे स्वरूप और प्रभु के प्रति अधिक चेतन हो जाते हैं; तथा अनंत ख़ुशियों और आनंद से भरपूर हो जाते हैं।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

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आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए अहिंसा एक महत्त्वपूर्ण सद्गुण है। इसका मतलब है कि हम विचारों से, वचनों से, और कार्यों से किसी भी जीव को नुकसान न पहुँचायें। जहाँ तक विचारों में अहिंसा की बात है, दूसरों की आलोचना करना सबसे आम उदाहरण है।

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