कृतज्ञता

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

26 नवम्बर 2020

त्यौहारों के इस मौसम में, समय है कृतज्ञता दर्शाने का। प्रभु द्वारा मिली देनों के लिए कृतज्ञता दर्शाने का एक तरीका है ध्यानाभ्यास। इस दुनिया में हमें जो कुछ मिला है – इंसानी जन्म से लेकर भोजन, कपड़े, पानी, और हमारे सिर की छत, तथा अनगिनत भौतिक व आध्यात्मिक देनें – ये सब हमें उसने ही दिया है जिसने इस सारी सृष्टि की रचना की है।

साल में अधिकतर समय, हम रुककर स्वयं को मिली देनों के बारे में सोचने के लिए बहुत व्यस्त होते हैं। लेकिन त्यौहारों के समय, जब हम धन्यवाद देने का समय निकालते हैं, तो हम समस्त जीवन के स्रोत के प्रति कृतज्ञता भी दर्शा सकते हैं। ध्यानाभ्यास में समय देकर, हम उन सभी चीज़ों के लिए प्रभु का शुक्राना कर सकते हैं जो उन्होंने हमें दी हैं। हम अपने अस्तित्व की अंदरूनी शांति में समय बिता सकते हैं, तथा उस आध्यात्मिक स्रोत के साथ जुड़ सकते हैं जो हम में से हरेक के भीतर है।

हम सब जानते हैं कि जब हम किसी को कुछ देते हैं, तो हमें बहुत ख़ुशी होती है अगर वो उपहार कृतज्ञता के साथ स्वीकार किया जाता है। इससे हम उस व्यक्ति को और भी अधिक देने के लिए प्रेरित होते हैं। तो जिसने हमें यह जीवन दिया है, उसके प्रति शुक्राना दर्शाने का सबसे अच्छा तरीका है, कृतज्ञता भरे हृदय के साथ ध्यानाभ्यास में बैठना। ध्यानाभ्यास में समय बिताने से हम शांति, प्रेम, और ख़ुशी से भरपूर हो जायेंगे, जो फिर उन लोगों तक भी फैलेगा जिनसे हम मिलेंगे।

मैं प्रार्थना करता हूँ कि त्यौहारों का यह मौसम सबके लिए ख़ुशियों से भरपूर रहे। आइए हम ध्यानाभ्यास में समय बिताकर, अपनी आत्मा की शांति में उस परम सत्ता के साथ जुड़ें जिससे हमें सबकुछ मिला है और जिसके प्रति हम बेहद कृतज्ञ हैं।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

अतिरिक्त संदेश

विचारों में अहिंसा

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आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए अहिंसा एक महत्त्वपूर्ण सद्गुण है। इसका मतलब है कि हम विचारों से, वचनों से, और कार्यों से किसी भी जीव को नुकसान न पहुँचायें। जहाँ तक विचारों में अहिंसा की बात है, दूसरों की आलोचना करना सबसे आम उदाहरण है।

नम्रता क्या है?

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नम्रता का अर्थ है कि हम यह जानें कि हम सब एक बराबर हैं। हम हर किसी में प्रभु को देखें।

अंतर का प्रकाश

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प्रभु का प्रकाश हमारे भीतर है। एक बार प्रज्ज्वलित हो जाने पर, ये हमेशा प्रज्ज्वलित ही रहता है। एक बार जब यह चिंगारी जल उठती है, तो हम हर वक़्त प्रभु के साथ जुड़े रहते हैं।