ध्यानाभ्यास सरल है

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

30 जून 2020

ध्यानाभ्यास सरल है। महान आध्यात्मिक गुरु, संत कृपाल सिंह जी महाराज, फ़र्माते थे कि यह एक दराज बंद करने और दूसरी खोलने के समान है।

ध्यानाभ्यास के समय, हम संसार संबंधी विचारों को और अपनी समस्याओं को एक दराज में डाल देते हैं और उसे बंद कर देते हैं। फिर, हम ध्यानाभ्यास की दराज खोल लेते हैं और केवल उसी पर ध्यान एकाग्र करते हैं।

ध्यानाभ्यास का अर्थ है अपने ध्यान को आत्मा की बैठक पर एकाग्र करना। यह स्थान हमारी भौंहों के बीच में और पीछे स्थित है। अगर हम अपने ध्यान को थोड़ी देर के लिए अपनी बाहरी आँखों और कानों से हटा लें और आत्मा की बैठक पर एकाग्र कर लें, तो हम ख़ुशियों और आनंद के उस स्रोत के साथ जुड़ जायेंगे जो अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। आँखों के पीछे के बिंदु पर एकाग्र होने से हमारे सामने आंतरिक प्रकाश के नज़ारे खुलने शुरू हो जायेंगे। इस दिव्य प्रकाश में डूब जाने से हम ख़ुशी व शांति के अनंत स्रोत का अनुभव करने लगेंगे। यही ध्यानाभ्यास है।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

अतिरिक्त संदेश

कृतज्ञता

कृतज्ञता

ध्यानाभ्यास में समय देकर, हम उन सभी चीज़ों के लिए प्रभु का शुक्राना कर सकते हैं जो उन्होंने हमें दी हैं। हम ध्यानाभ्यास में समय बिताकर, अपनी आत्मा की शांति में उस परम सत्ता के साथ जुड़ सकते हैं जो हम में से हरेक के भीतर है।

अंतर का प्रकाश

अंतर का प्रकाश

प्रभु का प्रकाश हमारे भीतर है। एक बार प्रज्ज्वलित हो जाने पर, ये हमेशा प्रज्ज्वलित ही रहता है। एक बार जब यह चिंगारी जल उठती है, तो हम हर वक़्त प्रभु के साथ जुड़े रहते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

अगर हम अहिंसा के मार्ग पर चलेंगे, तो पूरा विश्व हमारे करीब आ जाएगा और हम पूरे विश्व के करीब आ जायेंगे। तब हम अपना जीवन इस ग्रह पर रहने वाले सभी लोगों के लिए जीने लगेंगे।