ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

22 अक्टूबर 2020

ध्यानाभ्यास में, हम अपनी शारीरिक आँखों से कुछ भी देखने का प्रयास नहीं करते हैं। हम आत्मा की आँख से देखते हैं। इसीलिए, हमें ऊपर की ओर कुछ देखने की कोशिश में अपनी आँखों को माथे की ओर उठाने की आवश्यकता नहीं है।

Floating-feather-for-meditation

जो कुछ हम अंतर में देखते हैं, वो शारीरिक आँखों से नहीं बल्कि आंतरिक आँख से देखते हैं। इसमें कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। आंतरिक ज्योति पर ध्यान टिकाना एक प्रयासरहित प्रयास है।

जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमें यह सोचकर नहीं बैठना चाहिए कि हमें ये देखना है या वो देखना है। जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमें प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें वो दें और वो दिखायें जो वे हमारे लिए बेहतर समझते हैं। हमें प्रेम के साथ बैठना चाहिए, जैसे हम एक खाली प्याला हों, ताकि प्रभु हम में अपना दिव्य अमृत उड़ेल सकें। हमें कोई कोशिश नहीं करनी है। ध्यानाभ्यास एक प्रयासरहित प्रयास है, जिसमें हम पूरी तरह आराम से बैठते हैं। हम आराम से अपनी बाहरी आँखें बंद कर लेते हैं, और अपनी आंतरिक आँख से वो अनुभव करते हैं जो कुछ भी हमें दिखाई देता है।

जब हम ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान टिकाने लगते हैं, तो हम पाते हैं कि यह और अधिक आसान होता जा रहा है। पहली कुछ बार हम शायद अपनी आँखें खोल लें या यहाँ-वहाँ खुजलाने लगें। ये सामान्य बातें हैं जो कई लोगों के साथ शुरुआत में होती हैं। क्योंकि हमारा शरीर और मन नहीं चाहते कि हम एकाग्र हों, इसीलिए वो किसी न किसी तरीके से हमारा ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं।

जब हम ज़्यादा से ज़्यादा ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम अधिक से अधिक समय तक एकाग्र हो पाते हैं और स्थिर अवस्था में बैठ पाते हैं, तथा कोई भी चीज़ हमारा ध्यान नहीं भटका पाती है। हमें अपनी आँखों को सामने की ओर केंद्रित रखने की, और जो कुछ भी दिखाई दे उसके बीचोबीच देखने की, आदत पड़ जाती है। तब हमें ज़ोर डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। हम केवल ऐसे देखते रहते हैं जैसे हमारे सामने एक मूवी स्क्रीन हो और हम पिक्चर के शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हों। इससे हमें अपनी आँखों पर ज़ोर नहीं डालना पड़ेगा।

article Rajinder meditation end

लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

अतिरिक्त संदेश

ध्यानाभ्यास गहन निराशा से कैसे लड़ सकता है

ध्यानाभ्यास गहन निराशा से कैसे लड़ सकता है

विश्व भर में लाखों लोग गहन निराशा या अवसाद से पीड़ित हैं। इससे हमारी शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह की सेहत पर असर पड़ता है। मानसिक चिकित्सकों से इलाज करवाने के साथ-साथ, ध्यानाभ्यास भी निराशा के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस

अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस

अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस, जोकि 20 सितम्बर को मनाया जाता है, एक ऐसा दिन है जबकि दुनिया भर के लोग अपने शरीर, मन, और आत्मा के स्वास्थ्य के लिए ध्यानाभ्यास में समय बिताते हैं।

अपने ध्यानाभ्यास के समय को धीरे-धीरे बढ़ायें

अपने ध्यानाभ्यास के समय को धीरे-धीरे बढ़ायें

दुनिया भर में लाखों लोग अवसाद से पीड़ित हैं। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा उपचार के साथ-साथ, ध्यान से अवसाद के प्रभावों को कम करने में मदद करने के लिए ध्यानाभ्यास के अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। किन तरीकों से ध्यान अवसाद से निपटने में मदद करता है?