अंतर का प्रकाश

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

13 नवम्बर 2020

प्रभु का प्रकाश हमारे भीतर है। एक बार प्रज्ज्वलित हो जाने पर, ये हमेशा प्रज्ज्वलित ही रहता है। एक बार जब यह चिंगारी जल उठती है, तो हम हर वक़्त प्रभु के साथ जुड़े रहते हैं।

रोज़ाना ध्यानाभ्यास करने से हम स्वयं प्रभु के प्रकाश को अपने अंदर चमकता हुआ देख पाते हैं। जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में जाते हैं, तो हम देख पाते हैं कि प्रभु का जो प्रकाश हमारे भीतर रोशन है, वही दूसरों के अंदर भी उजाला दे रहा है। एकता का यह एहसास उन बाहरी विभाजनों को तोड़ देता है जो इंसान को इंसान से अलग करते हैं। हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम इस एकता को अंदरूनी और बाहरी, दोनों तरीकों से अनुभव कर पाते हैं।

तीव्र प्रकाश अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। इसका अनुभव करने के लिए हमें केवल प्रतिदिन कुछ समय ध्यानाभ्यास में देना होगा।

समस्त सृष्टि में मौजूद दिव्य प्रकाश के बारे में संत राजिन्दर सिंह जी के कथन को दर्शाने वाली इस 30 सेकेंड की क्लिप का आनंद लीजिए।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

अतिरिक्त संदेश

धरती को वापस लौटाना

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अपने ग्रह को वापस देने का अर्थ है कि जब हम उससे भोजन लें, तो हम भूमि का सही रख-रखाव करें, ताकि वो हमेशा हमें भोजन देती रही। शाकाहार, धरती के लिए हमारे सम्मान का प्रतीक है। हम शाकाहार अपना कर धरती के संसाधनों का संरक्षण कर सकते हैं।

प्रेम की खुश्बू को फैलायें

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अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करना होगा। हमें केवल अपने अंतर में देखना होगा। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, आलोचना करने, या जकड़ने से हम यह अनुभव नहीं कर पायेंगे।

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करने की आवश्यकता है। हमें केवल अपने अंतर में देखना है। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, या आलोचना करने, या ज़बरदस्ती कुछ पाने की कोशिश करने से हम उस अनुभव से वंचित रह जायेंगे।